लिख रहा था... 2.0



लिख रहा था...

एक अधूरी मोहब्बत मेरी रह गई,

मेरे दिल में तुम्हारे नाम की निशानी रह गई..


लिख रहा था...

तुम्हे देख कर जो गज़ल...

रुक जरा वो अधूरी गज़ल रह गई,

ख्वाहिशें हमसे पूछो, कितनी अधूरी रह गई..


"गुलाब रखने की चाहत में अबतक,

कितनी किताबे खाली रह गई..

कुछ तो फूंका है तेरे कानों में किसी ने, 

इतनी कमी मेरी मोहब्बत में कहां रह गई.."


लिख रहा था...

तुम्हे देख कर एक पल हुई थी तकलीफ, 

दिल रोया - बिलखलाया भी था,

एक ही पल में तुम्हे देख अचानक दिल मुस्कुराया और 

चेहरा खिलखिलाया भी था,


लिख रहा था...

एक अधूरी मोहब्बत मेरी रह गई,

मेरे दिल में तुम्हारे नाम की निशानी रह गई..


जाना था तुम्हे बिन बताए , जाने दूंगा

अश्क आखों में छिपाऊंगा मैं तेरी तकलीफ न बढ़ाऊंगा..

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